About Publication

''अजयमेरु'' नाम ही क्यों?

    अजयमेरु नाम ही अपने पब्लिकेशन के लिए हमने क्यों चुना, इसके पीछे कई कारण है, जैसे- 

1. ऐतिहासिक कारक & अजयमेरु " अजमेर " का प्राचीन नाम है, जिसकी स्थापना 1113 में अजयराज चौहान ने की थी और इसे अपनी राजधानी भी बनाया था, इसके बाद ही चौहान वंश का प्रसार हुआ और इनकी कीर्ति पूरे भारत मे फैली थी।अतः हमारी भी महत्वाकांक्षा का प्रतीक होगा यह नाम

2. भौगोलिक कारक & अजमेर हमारा गृह जिला है और कहा भी गया है कि " जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "अतः अपनी जन्मभूमि के प्रति समर्पण का संकेत होगा यह  नाम

3. सांस्कृतिक कारक & अजयमेरु का शाब्दिक अर्थ होता है " ऐसा (मेरु) पर्वत जिसे जीता न जा सके अतः हमारे अटल-अचल एंव दृढ़ निश्चय का परिचायक होगा यह नाम

4. आर्थिक- रणनीतिक कारक & बाकी सोचे गए नामो पर हमे ट्रेडमार्क नही मिल रहा था, परन्तु इस नाम पर हमें ट्रेडमार्क मिल गया हैअब इस नाम का उपयोग कोई और नही कर सकेगा।अतः हमारी विशिष्ट पहचान का चिन्ह होगा यह नाम।

हमारी टीम छात्र हित " में अपना सर्वस्व लगा देगी, बस आप सबके सहयोग की अपेक्षा है ताकि पब्लिकेशन का यह नाम अपने वास्तविक अर्थ को चरितार्थ कर सके

 " आजाद " नाम ही क्यों?

हमने हमारी वन वीक सीरीज का नाम आजाद " रखा है, जिसके पीछे कई उद्देश्य है-

1. चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि  भारत मे " आजाद " नाम से कौन परिचित नही होगा, देश के सबसे महान और प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक रहे है चंद्रशेखर आजाद, जिन्होंने देश के  स्वतंत्रता-यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति हंसते & हंसते दी थी  ऐसे क्रांतिवीर ने अपने नाम को हमेशा सार्थक किया था कि वे आजाद थे, आजाद है और आजाद ही रहेंगे उन्हीं के नाम पर हम भी अपनी प्रथम पुस्तक श्रृंखला का नाम आजाद रख रहे हैताकि ना केवल आजाद जी की स्मृति को और चिरंजीवी बनाया जा सके, बल्कि उनके नाम से प्रेरित होकर हम पब्लिकेशन के द्वारा प्रकाशित होने वाली पुस्तको में आजाद विचारो की जिम्मेदारीपूर्ण प्रस्तुति कर सके

2. देशभक्ति की भावना जागृत करना - आजाद नाम से और विशेषतः इसे तिरंगे के रंग में दिए जाने से आज की युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना का संचार जरूर होगा नाम और उसके प्रस्तुतिकरण का सकारात्मक प्रभाव युवा मस्तिष्क पटल पर पड़ेगा, ऐसी हमे आशा है..

3. विश्वविद्यालय का नाम - चूंकि हम मुक्त विश्वविद्यालयों पर कार्य कर रहे है तथा मुक्त विश्वविद्यालयों के दूरस्थ शिक्षा पद्धति पर आधारित होने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को नियमित रूप से विश्व विद्यालय आने की आवश्यकता नही पड़ती हैअर्थात  यहां के सभी विद्यार्थी  " आजाद " है] और इन्ही सभी आजाद विद्यार्थियों को समर्पित होगी हमारी आजाद वन  वीक सीरीज।

हमारा ''लोगो'' (Logo)

" लोगो " आपके व्यवसाय या उद्यम को एक विशिष्ट पहचान दिलवाने मे मदद करता है, अतः जब हमने भी अपने पब्लिकेशन की शुरुआत करने का मानस बनाया तो प्रकाशन की पृथक पहचान हेतु एक लोगो ( logo ) की आवश्यकता महसूस हुई और अंततः हमने अपना लोगो चुना है -

एक ऐसा प्राकृतिक दृश्य जिसमे राजस्थान राज्य के सभी राज्य-चिन्ह एक साथ दिखाई दे रहे है। इस " लोगो " मे पीछे अरावली के पहाड़ दिख रहे है, जहां सूर्य बस उदय होने को ही हैनीचे चारो ओर रेगिस्तानी धोरे है तथा धोरो के बीच मे हमारे निम्नलिखित राज्य प्रतीक दृष्टिगत हो रहे है &
1. राज्य वृक्ष - खेजड़ी प्रोसोपिस सिनेरेरिया )
2. राज्य पुष्प - रोहिड़ाटेकोमेला अंडुलेटा )
3. राज्य पक्षी - गोडावणआर्डीओटिस नाइग्रीसेप्स )
4. राज्य पशु - चिंकारा (गजेला बेनेट्टी)
5. राज्य पशु (पशुधन श्रेणी) - ऊंट केमेल्स ड्रोमेडेरियस )

 

इन " राज्य प्रतीकों " को एक साथ लाने के पीछे का उद्देश्य हमारे पाठको को प्रकृति के महत्व को समझाना है, जो वर्तमान " कोरोना त्रासदी " के समय और भी कही अधिक प्रासंगिक हो जाता है..  इसलिए हम लोगो ( logo ) के साथ एक टैग लाइन भी प्रयोग करने वाले है " प्रकृति: रक्षति रक्षिता " जिसका आशय है- आप प्रकृति की रक्षा करे, प्रकृति आपकी रक्षा करेगी यदि मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करता तो उसे शायद आज टिड्डी समस्या, चक्रवात सम्बन्धी आपदाओं और सबसे बढ़कर कोरोना जैसी महामारी का सामना ना करना पड़ता। पब्लिकेशन के माध्यम से हम ना केवल उच्च गुणवत्ता की पाठ्य सामग्री उचित मूल्य पर पाठक वर्ग तक पहुचायेंगे बल्कि हम अपने " लोगो " ( logo ) के माध्यम से उन तक ये संदेश भी पहुचाएंगे की वे प्रकृति की रक्षा करे और भारतीय संविधान के " अनुच्छेद 51" में कहा भी गया है कि यह हम सबका मूल कर्तव्य होगा कि हम प्राकृतिक पर्यावरण ( वन, झील, नदी एंव वन्यजीवकी रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव रखे " लोगो " के प्रकटन के साथ ही हमने यह घोषणा भी की थी कि पब्लिकेशन के लाभ का कुछ हिस्सा हम वृक्षारोपण एंव वन्यजीवों (जैसे गोडावणके संरक्षण पर लगाएंगे। तो आइए अजयमेरु पब्लिकेशन के साथ जुड़कर प्रकति को बचाने में अपनी यथोचित भूमिका का निर्वहन करे


OUR JOURNEY

पब्लिकेशन के संस्थापक श्री निशांत सर ने जब ओपन यूनिवर्सिटी से M.A. GEOGRAPHY किया तब उन्हें भी गत वर्षों के साल्व्ड पेपर्स की आवश्यकता महसूस हुई थी, लेकिन उस वक़्त बाजार में ओपन यूनिवर्सिटी पर कुछ भी सहायक पाठ्य सामग्री (SUPPLEMENTARY STUDY MATERIAL) उपलब्ध नही थी। इस दौरान उनके द्वारा खुद की तैयारी  के लिए बनाए गए नोट्स और क्वेश्चन पेपर विश्लेषण से लगभग सभी प्रश्न परीक्षा में आये। बस यही से पहली बार हमें आईडिया मिला कि वन वीक सीरीज की आवश्यकता भी है और इसे बनाया भी जा सकता है। 4 मई 2020 , जब कोरोना महामारी के कारण देश मे लॉक डाउन लगा हुआ था, तब हमारी टीम ने इस दिशा में पहली बार गम्भीरता से काम करना शुरू कियाएक माह के गहन शोध - विश्लेषण के बाद 9 जून 2020 को पब्लिकेशन की स्थापना की गई। सितंबर 2020  में अनन्त चतुर्दशी के दिन मोती डूंगरी गणेश मंदिर (जयपुर) में भगवान गणपति के चरणों मेंs प्रथम प्रति भेंट कर प्रिंटिंग की औपचारिक शुरुआत की गई। सितंबर - अक्टूबर 2020 में यूनिवर्सिटी ने जून 2020 सत्रांत की फाइनल ईयर की परीक्षाएं करवाने का निर्णय किया तथा बाकी सभी कक्षाओं के छात्रो  को प्रमोट कर दिया गया । इन परीक्षाओं के लिए अजयमेरु पब्लिकेशन द्वारा 14 वन वीक सीरीज बनाई गई थी, जिसे करीब 30 दुकानों पर रखवाया गया। विद्यार्थियों ने इस शुरुआत को काफी सराहा तथा परीक्षा के लिए आजाद वन वीक सीरीज पर अपना भरोसा दिखाया और जब परीक्षाएं हुई तो छात्रो के  विश्वास पर हम 100% खरे उतरे. इसके बाद यह यात्रा चलती रहीदिसम्बर 2020 की सत्रांत परीक्षा का आयोजन जब मार्च- अप्रैल 2021 में हुआ तब तक पब्लिकेशन ने करीब 65 वन वीक सीरीज का प्रकाशन कर दिया था तथा प्रदेश की 90 से अधिक दुकानों पर वन वीक सीरीज उपलब्ध करवाई गयी।इस बार भी परीक्षा हॉल में जब क्वेश्चन पेपर खुले तो आजाद वन वीक सीरीज ने धूम मचा दी थी। अब हम आपके समर्थन और सहयोग से निरन्तर गतिशील है अगले कुछ माह में विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्सेज की 300 वन वीक सीरीज का प्रकाशन हमारे द्वारा किया जा रहा है.


Vission and mission

मुक्त विश्वविद्यालयों के छात्रों को यद्यपि विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यसामग्री ¼ SLM ½ उपलब्ध करवाई जाती है तथापि उनके लिए बाजार में किसी सहायक अध्ययन सामग्री (SUPPLEMENTARY STUDY MATERIAL) का आभाव होना हम पर यह उत्तरदायित्व डालता है कि हम छात्रो को गुणवत्तापूर्ण पाठ्यसामग्री उचित मूल्य व  उचित  समय पर उपलब्ध करवाए। इसी उद्देश्य के निमित्त हम सतत प्रयासरत है।

खुला विश्वविद्यालयो के नए दिशानिर्देशो के अनुसार छात्र द्वारा यदि अपने कोर्स की पाठ्य- पुस्तके हार्ड कॉपी में नही लेने का विकल्प चुना जाता है तो उन्हें फीस में 15 % का डिस्काउंट दिया जाता हैA इस नियम ने हमारी जिम्मेदारी को और बढ़ा दिया, अब सभी कोर्सेज के छात्र हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रहे है कि हम उनके कोर्स की वन वीक सीरीज लेकर आयेइस कारण हम ज्यादा से ज्यादा कोर्सेज की वन वीक सीरीज अगले कुछ दिनों में ला रहे हैहमारा उद्देश्य  कि छात्र यदि परीक्षा से कुछ दिन पहले भी यदि वन वीक सीरीज पढ़ ले तो उसका परिणाम बेहतर आ जाये और  हमारी विशेषज्ञ लेखन टीम  ने  विगत वर्षों  के पेपर्स, प्रश्न बैंक, बुक्स आदि का सटीक विश्लेषण कर जो कंटेंट आप लोगो को उपलब्ध करवाया है, वो इस उद्देश्य की पूर्ति जरूर करेगा, ऐसी हमे आशा है।

पब्लिकेशन का सामान्य उद्देश्य होता है  पुस्तको का प्रकाशन करना लेकिन हमारा उद्देश्य मात्र पुस्तक प्रकाशन नही है हम वन वीक सीरीज को आय का जरिया ना मानकर छात्र-सेवा का एक प्रकल्प मानते है. यही वजह है कि हम वंचित वर्ग के छात्रो को फ्री वन वीक सीरीज दें रहे है] परीक्षा से कुछ दिन पूर्व हमारे टेलीग्राम चैनल https://t.me/Ajaymeru_Publicationपर गेस पेपर उपलब्ध करवाना भी इसी दिशा में एक प्रयास है।

हमारे पब्लिकेशन हेल्पलाइन के नम्बर 9166392307 पर प्रतिदिन सैकड़ो छात्र कॉल कर विश्वविद्यालय सम्बन्धी विविध समस्यायों पर हमसे सलाह एंव सहायता लेते है । साथ ही हम प्राप्त आय का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न सामाजिक-उत्तरदायित्वों को पूरा करने में लगा रहे है, जिसका विस्तृत विवरण हमने वेबसाइट के SOCIAL RESPONSIBILITY खण्ड में दिया हैA